शिक्षा का अर्थ और परिभाषा, महत्व , उद्देश्य:- शिक्षा का अर्थ और परिभाषा
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शिक्षा का अर्थ और परिभाषा, महत्व , उद्देश्य
शिक्षा मनुष्य के विकास की पूर्णता की अभिव्यक्ति है। शिक्षा स्वयं को पहचानने व अपनी शक्तियों को पहचानने की क्षमता का विकास करते हैं।
प्लेटो का कथन है कि “अज्ञान समस्त विपत्तियों का मूल कारण है अज्ञानी रहने की अपेक्षा जन्म न लेना ही अच्छा है।
महर्षि वेदव्यास का कथन है कि ” ज्ञान जीवन के सत्य का दिग्दर्शन ही नहीं करता बल्कि वह व्यक्ति को बोलना ,चलना, व्यवहार करना भी सिखाता है”
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शिक्षा का वास्तविक अर्थ
प्राचीन समय में शिक्षक विद्या कहा जाता था। विद्या शब्द की उत्पत्ति ‘विद’ धातु में “अ’ प्रत्यय लगाने से हुई है।जिसका अर्थ है जानना । प्राचीन समय में ज्ञान को मानव जीवन के विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है।
शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष धातु में आ प्रत्यय लगाने से हुई है जिसका तात्पर्य सीखना और सिखाना।
शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष धातु में आ प्रत्यय लगाने से हुई है जिसका तात्पर्य सीखना और सिखाना।
शिक्षा को आंग्ल भाषा में एजुकेशन(Education) कहते हैं। शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार एजुकेशन शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा की निम्नलिखित शब्दों से हुई है।
शब्द | अर्थ |
एडूकेटम (Educatum) | To train, act of teaching or training (शिक्षित करना) |
एडूसीयर (Educere) | To lead out (विकसित करना अथवा निकालना) |
एडूकेयर (Educare) | To educate , to bring up , to raise (आगे बढ़ना, बाहर निकालना अथवा विकसित करना) |
शिक्षा का संकुचित अर्थ
शिक्षा के संकुचित अर्थ से अभिप्राय उस शिक्षा से है जो एक निश्चित स्थान अथवा विद्यालय कॉलेज में निश्चित समय तक एवं निश्चित योजना के तहत दी जाती है ।
शिक्षा का व्यापक अर्थ
शिक्षा के व्यापक अर्थ के अनुसार शिक्षा जीवन चलने वाली प्रक्रिया है।यह प्रक्रिया उसी समय प्रारंभ हो जाती है जब बालक का जन्म होता है। अर्थात व्यापक दृष्टि से शिक्षा का अर्थ बालक के उन सभी अनुभवों से है जिसका प्रभाव उसके ऊपर जन्म से लेकर मृत्यु तक पड़ता है अर्थात या अनियंत्रित वातावरण है।
शिक्षा का महत्व(importance of education)
शिक्षा का महत्व निम्नलिखित है।
1.शिक्षा का महत्व व्यक्ति के प्रत्येक पहलू को विकसित करके इसका चारित्रिक निर्माण करती है।
2. शिक्षा राष्ट्रीय जीवन में व्यक्ति के अंदर राष्ट्रीय एकता, भावनात्मक एकता, सामाजिक कुशलता तथा राष्ट्रीय अनुशासन आदि भावना को विकसित करके उसे इस योग्य बना देती है।कि वह सामाजिक कर्तव्य को पूरा करते हुए राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देने के लिए ओत-प्रोत हो जाता है।
शिक्षा के कार्य (work of education)
व्यक्ति संबंधी
●आंतरिक शक्तियों का विकास करना
●संपूर्ण व्यक्तित्व का भी पूर्ण विकास
●भावी जीवन की तैयारी
●नैतिक उत्थान करना
● मानवीय गुणों का विकास
● आत्मनिर्भर बनाना
●आवश्यकता की पूर्ति में सक्षम बनाना
● जन्मजात प्रकृतियों में सुधार
●संपूर्ण व्यक्तित्व का भी पूर्ण विकास
●भावी जीवन की तैयारी
●नैतिक उत्थान करना
● मानवीय गुणों का विकास
● आत्मनिर्भर बनाना
●आवश्यकता की पूर्ति में सक्षम बनाना
● जन्मजात प्रकृतियों में सुधार
समाज संबंधित
●सामाजिक नियमों का ज्ञान
● प्राचीन साहित्य का इतिहास
●कुरूतियो के आवरण में सहायक
● सामाजिक भावना का विकास
●सामाजिक उन्नति में सहायक
●धर्मों के विषय में
●उदार दृष्टिकोण
● प्राचीन साहित्य का इतिहास
●कुरूतियो के आवरण में सहायक
● सामाजिक भावना का विकास
●सामाजिक उन्नति में सहायक
●धर्मों के विषय में
●उदार दृष्टिकोण
राष्ट्र संबंधी
●भावनात्मक एकता
●कुशल नागरिक
●राष्ट्रीय विकास
●राष्ट्रीय एकता
●सार्वजनिक हित संबंधी कार्य
●सार्वजनिक आय संबंधी कार्य
●राष्ट्रीय अनुशासन
● अधिकार तथा कर्तव्यों का ज्ञान
●कुशल नागरिक
●राष्ट्रीय विकास
●राष्ट्रीय एकता
●सार्वजनिक हित संबंधी कार्य
●सार्वजनिक आय संबंधी कार्य
●राष्ट्रीय अनुशासन
● अधिकार तथा कर्तव्यों का ज्ञान
वातावरण सम्बन्धी
●वतावरण से समायोजन
●वातावरण का अनुकूलन
शिक्षा के उद्देश्य (Purpose of education)
शिक्षा ही व्यक्तिगत एवं सामाजिक विकास की एक सार्थक प्रक्रिया है अतः इसके सामान्य, विशिष्ट, वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य अलग अलग है जो कि निम्न है।
1.सामान्य उद्देश के अंतर्गत व्यक्ति का व्यवहार, चरित्र ,आचरण, मनोवृति भावनाएं विचारों तथा ज्ञान आदमी परिवर्तन होता है।
2. विशिष्ट उद्देश्य को आज सामान्य उद्देश्यों की संज्ञा दी जाती है इनकी क्षेत्र तथा प्रकृति सीमित होती है।
इसका निर्माण भी किसी विशेष परिस्थिति तथा विशेष कारण को ही ध्यान में रखते हुए किया जाता है।यह उद्देश्य लचीला अनुकूलन योग्य तथा परिवर्तनशील होता है।
इसका निर्माण भी किसी विशेष परिस्थिति तथा विशेष कारण को ही ध्यान में रखते हुए किया जाता है।यह उद्देश्य लचीला अनुकूलन योग्य तथा परिवर्तनशील होता है।
3.वैयक्तिक उद्देश्य शिक्षा का प्राचीन उद्देश्य है इस उद्देश्य में के समर्थक समाज की अपेक्षा व्यक्ति को बड़ा मानते हैं।
4. सामाजिक उद्देश्य की दृष्टि से व्यक्ति का संपूर्ण जीवन राष्ट्र की भलाई के लिए है ना कि केवल व्यक्तिगत व्यक्तिगत भलाई के लिए।
वर्तमान भारत में शिक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting educational objective in current India)
■ वर्तमान भारत में शिक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करने वाले कारक दर्शन जीवन दर्शन, राजनीतिक विचारधारा ,सामाजिक विचारधारा ,आर्थिक दर्शाएं ,तकनीकी ,उन्नति पप्राकृतिक दशाएं हैं।
■ राजनैतिक विचारधारा के अंतर्गत शासन करने वाली सरकार ही शिक्षा की व्यवस्था का कार्यभार संभालती थी । अतः वह अपने अनुरूप ही शिक्षा के ढांचे का गठन करती है ।इस प्रकार शिक्षा के उद्देश्य पर तत्कालीन सरकार का प्रभाव पड़ता है।
■सामाजिक विचारधारा के अंतर्गत समाज की दशाओं का शिक्षा के उद्देश्य पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। भारतीय शिक्षा का उद्देश्य केवल समाज को शिक्षित करना तथा सबके जीवन यापन के लिए साधन जुटाना है।
■शिक्षा के उद्देश्यों को देश का प्राकृतिक वातावरण तथा प्राकृतिक संपदा आज भी प्रभावित करती है।
■किसी देश का आर्थिक स्तर वहां की शिक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करता है।भारत जैसे देश में आर्थिक साधनों की कमी के कारण शिक्षा के उद्देश्य को निर्धारित करके भी उचित साधनों के अभाव से प्राप्त नहीं किया जा सका है।
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■शिक्षा के उद्देश्यों को देश का प्राकृतिक वातावरण तथा प्राकृतिक संपदा आज भी प्रभावित करती है।
■किसी देश का आर्थिक स्तर वहां की शिक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करता है।भारत जैसे देश में आर्थिक साधनों की कमी के कारण शिक्षा के उद्देश्य को निर्धारित करके भी उचित साधनों के अभाव से प्राप्त नहीं किया जा सका है।
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शिक्षा के प्रकार (Types of education)
शिक्षा के प्रकार शिक्षा शास्त्रियों ने शिक्षक का वर्गीकरण अनेक प्रकार से किया है इनमें से प्रमुख निम्न है
1.औपचारिक शिक्षा
2. अनौपचारिक शिक्षा
3. दूरस्थ शिक्षा
2. अनौपचारिक शिक्षा
3. दूरस्थ शिक्षा
औपचारिक शिक्षा (formal education)
औपचारिक शिक्षा बालक को सब प्रयत्न शिक्षा देने का कार्य करता है।औपचारिक शिक्षा में शिक्षा देने की योजना अर्थात समय, स्थान ,अध्यापक विधि एवं पाठ्यक्रम पूर्व निर्धारित होता है।
अनौपचारिक शिक्षा (Informal education)
अनौपचारिक शिक्षा औपचारिकता से युक्त एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था है।जो औपचारिक शिक्षा सीमा और कमियों की पूर्ति करता है। इस व्यवस्था में औपचारिक तत्व नहीं है जो जन शिक्षा की दिशा में उनकी क्षमता को सीमित करते हैं।यह योजना कम समय में एक लचीले पाठ्यक्रम निरक्षर को पूर्ण रूप से शिक्षित करती है ।
दूरस्थ शिक्षा (Distance education)
शिक्षा की सीमा का विस्तार करने के लिए नए साधन उपयोग में लाए जा रहे हैं।उन्हीं में से दूरस्थ शिक्षा भी एक महत्वपूर्ण साधन सिद्ध हो रहा है। दूरस्थ शिक्षा एक बहुआयामी शिक्षा व्यवस्था जैसे अधिगम अथवा शिक्षा पत्राचार शिक्षा बाहरी अध्ययन अध्ययन एवं परिषद में बाहर अध्ययन इत्यादि।
दूरस्थ शिक्षा के घटक इस प्रकार है – मुक्त अधिगम , मुक्त शिक्षा पत्राचार शिक्षा।
दूरस्थ शिक्षा के घटक इस प्रकार है – मुक्त अधिगम , मुक्त शिक्षा पत्राचार शिक्षा।
औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा में अंतर(Difference between formal education and informal education)
औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा में अंतर निम्नलिखित है।
■औपचारिक शिक्षा का उद्देश्य सामान्य तथा आदर्शत्मक होता है जबकि अनौपचारिक शिक्षा का उद्देश वास्तविक विशिष्ट तथा समयानुसार होता है
■औपचारिक शिक्षा सामाजिक जीवन की आकांक्षाओं, मान्यताओं ,आदर्शों तथा आवश्यकताओं की प्रतीक है,जबकि अनौपचारिक शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति ने निहित आवश्यकता तथा समस्याओं की जानकारी तथा उनका समाधान है।
■औपचारिक शिक्षा क्षेत्र व्यापक है यह नियंत्रित तथा क्रमिक है। जबकि अनौपचारिक शिक्षा का क्षेत्र सीमित है।
■ औपचारिक शिक्षा वर्तमान तथा भावी जीवन की तैयारी है जबकि अनौपचारिक शिक्षा वर्तमान पर अधिक बल देती है।
■औपचारिक शिक्षा का पाठ्यक्रम व्यापक उद्देश्य एवं जीवन में सत्य है जबकि अनौपचारिक शिक्षा के पाठ्यक्रम का उद्देश्य तथा सामाजिक वातावरण हेतु है
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